Articles of Saurabh Pandey "Sarthak"

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© Saurabh Pandey "Sarthak "



Tuesday, February 16, 2016

जे एन यू (JNU)- भारत में बैठे आतंकी

आओ "आज़ादी आज़ादी तक जंग" का एलान करने वाले इन्  राष्ट्रदोहियों की  "घर - घर से अफज़ल निकलने " जैसी  चुनौती को स्वीकार करते हुए  "अफज़ल " के पास भेंजे . ....इससे पहले की ये "भारत को टुकड़े टुकड़े" .."बर्बादी तक जंग " ..अफज़ल अफज़ल और कश्मीर के मिलने तक जंग की बात करें ...."अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" के नाम पर घोर देशद्रोह के पैरोकारों को याद दिला  दें ..राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दों पर वैचारिक मतभेद हो सकते है परन्तु देश की संप्रभुता एवं अखंडता को खंडित करने का ऐसा दुस्साहस ?????
कि  राहुल ग़ांधी और उसका गन्दा ख़ानदान जो भारत की आज़ादी से ही भारत की बर्बादी में संलिप्त है ,खुलेआम देशद्रोहियों का समर्थन  करे और हम उसे बीजेपी Vs कांग्रेस / लेफ्ट /अन्य विपक्ष  का नाम देकर अपने राष्ट्रीयता एवं नैतिक मूल्यों को भूल जाएँ ??
क्या सच में "देश कि बर्बादी होने तक" या "कश्मीर कि आज़ादी " तक का हम इंतज़ार कर रहे है ????....
सरकार की संवैधानिक कार्यवाही को JNU में अतिक्रमण का नाम देकर उसे सरकार की साजिश का नाम देने वाले ये कहना चाहते है की चंद दिनों पहले जो आवाजें लगायी जा रही थी "देश को बर्बाद " करने की वो देशप्रेम था ???
आखिर दुनिया के किस देश में इस हद तक वैचारिक स्वतंत्रता प्रदत्त है की उसी देश में रहते ,खाते, पीते हुए उसे ही बर्बाद करने का खुले-आम घोष किया जाये   ??
इस देश के ही संसाधनो से जीने वाले , हमारे सिपाहियों से सुरक्षा  पाने वाले ,हमसे सहयोग और सहानुभूति पाने वाले , देश के पैसों से फ्री पढ़ने वाले ,इसी देश की खिलाफ आतंकियों से सांठ-गांठ करके हमें ही बर्बाद करने का सपना संजोये और हम शांत बैठे क्यों  की इस देश की लोकतान्त्रिक  व्यवस्था में किसी को भी अपना मत रखने का अधिकार है  ???
ऐसा मत जो इस देश को और हमें ही "बर्बाद" करने का सपना पाले  हुए है ??
आतंकियों के पैरोकार "देशद्रोही" की परिभाषा समझा रहे है ,वो बता रहे है उन्हें ऐसा करने पे देशद्रोही न बोले क्युकी वह तो उनका नैतिक अधिकार है और उनके इस नैतिक अधिकार का हनन "भगवाकरण" है नाकि देशद्रोह .
उनका कहना है की ,इस हिन्दू बाहुल्य देश में जिसने "वशुधैव कुटुंबकम" की परंपरा के तहत (जातिगत आधार पे देश के दो बंटवारे हो जाने के बावजूद) सभी को सामान अधिकार एवं सम्मान दिया है ,हिन्दू और हिंदुत्व की बात सांप्रदायिक है परन्तु आतंक एवं आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन देशप्रेम एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ??? वाह !! क्या देश है ....
क्या राजनीती का स्तर इस हद तक गिर चुका है की राष्ट्रीयता जातिगत वोट और देशद्रोह के अधीन हो गयी है ?? ...मुस्लिम वोट की लालसा इस कदर सर पे सवार है की "देशद्रोह" को ओछे तथ्यों से बचाया जा रहा है ...
मुस्लिम वोट पाने का होड़ लगा है और अपने पछ में करने के लिए :पहले मै -पहले मै " का खेल खुलेआम जारी है ..आतंकवादियों को सम्मानजनक शब्दों (अफजल साब , ओसामा  जी...) से उद्बोधित किया जा रहा ..आतंकवादियों को शहीद बताया जा रहा है ... देश को बेचा जा रहा है ...दुश्मनो के हाथ नीलाम किया जा रहा है ??? और राष्ट्रहित  में हो रहे संवैधानिक प्रक्रिया को "सरकारी आतंक "एवं दुर्भावना से ग्रसित बताया जा रहा है ???...देश के हालत पे आतंकी ट्वीट करते है .. अपने मंसूबों को सफल होते देख प्रोत्साहित एवं समर्थन  ज्ञापित करते है ...और गृहमंत्री के देशहित बयान का उपहास उड़ाते है .... ???
 इस नीच मानशिकता ने ही देश को बर्बाद किया ...और स्वयं को असहाय ,सत्ताविहीन पाकर नीचता की पराकाष्ठा पार करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है ..और ये नया प्रयास तथाकथित बुद्धिजीवियों एवं आतंकी  के रूप में फैले विद्यार्थियों के माध्यम से कराया जा रहा है .... हमारे आस पास बैठे ये दुश्मन सीमापार के घुसपैठी या आतंकवादी से कही ज्यादा खतरनाक है जो उन्ही के लिए काम करते है हमारे आपके बीच अपनों जैसा बनके ....खुद को प्रोफेसर ,लेखक ,अध्यापक ,विद्यार्थी ,शोधार्थी या समाजसेवी बता के ...
JNU   के माध्यम से खुलके सामने आये इन् देशद्रोहियों को सजा देने का समय आ चुका है .वर्षों से इन सबने मिलके व्यवस्था को खोखला  किया है  ..आओ इनके मंसूबों को हम खोखला करें .... बर्बाद करें इनके "भारत की बर्बाद " करने के आतंकी सपने को ....
इस  प्रकरण ने देशव्यापी आतंकी गठजोड़ को उद्घाटित किया है . पूरा देश आश्चर्य में है की इतना पर्दाफास हो जाने के बावजूद समाचार चैनल में बैठे पाखंडी बुद्धिजीवी किस प्रकार से वकालत कर रहे है दोषियों की ??? समर्थन में मानव श्रंखला और शांति मार्च निकाले जा रहे है ???
किस प्रकार से वर्षों से ये सांप पाले पोसे  गए है जो अब देश भर के शिक्षण संस्थानों में फ़ैल के विष फैला रहे है .
कही ये तथाकथित पढ़े लिखे देशद्रोही हरामखोर आपके अगल बगल तो नहीं है ....???? 
 भारत सरकार को अब न केवल इन सांपों को JNU  से साफ करना है अपितु पूरे देश में सघन अभियान चला के चुन चुन के बहार निकालना  होगा . देश बाहर के आतंकी से निपट लेगा परन्तु घर में बैठे इन सपोलों का सफाया तो हो पाये .

Friday, February 12, 2016

Ideological Terrorism (वैचारिक आतंकवाद) :बिहार की बेटी "इशरत जहाँ" से शहीद "अफज़ल गुरु " तक

"हम लड़ के लेंगे ..! आज़ादी" ...... ,"तुम एक अफज़ल मरोगे ,घर घर से अफज़ल निकलेगा " ..."पाकिस्तान  ज़िंदाबाद .."  these throaty roaring slogans were part of JNU’s so called cultural program organized to commemorate and protest  “Afzal Guru’s Judicial Death” on 9th of Feb.

Media ,except Zee News was silent (as always this gang do if it is the case of pseudo secularists and more clearly if it is against the India by such terror supporting Indians who are actually agent of terrorists and works here as sleeper cells) on this gross national shame which was busy just few days back applauding terrorist Afzal Guru’s son who scored very good marks in the school like no student in India did before this and like he was the son of his great martyr father sacrificed for nation ?

Same people were staging to mourn Yakoob Menon’s death in Hyderabad University through Rohit Vemula who finally took suicide aftermath of his expulsion from university following aspersions of his anti national involvement and misleading innocent student to sedition .

After years of trail ,hearing ,court decision ,repeated mercy petition ,concerted campaign from so called secularists against the decision and verdict and finally accent of President of India on the death penalty of both of the two Muslim specially (who are role model for few Muslims today) like others for their lawful evident hand in terrorism; they were hanged till death .

I was listening the versions of organizer of program and JNUSU president on a news debate yesterday lauding and certifying self for what they did and claim it well constitutional as their freedom of expression .

Ridiculously ,he was also of the view that they have full right to oppose and voice this way as no court , no judge ,no political system and party can hold them guilty to celebrate the death anniversary of  terrorists and in-fact the invitation poster well publicized name of terrorists with pics for whom they sat to mourn and challenge the integrity of India with slogans – "हम लड़ के लेंगे ..! आज़ादी"….. 
  
As always only ABVP was there to protest against this anti nationalism and seditionist act being voiced in the university campus openly by AISA ,SFI as they are doing across the Indian universities It seems for protecting the nationalism in the country and  in universities only ABVP has role and all other student unions are for the support and nurturing of terrorism in country ??

The great shame of nation CM Kejriwal rushed to Hyderabad for Vemula but kept mum with his newly born student wing in Delhi supporting silently the act with NSUI??? However his intent in politics and purpose is now clear to all as during last 3 years his political stands and move is enough evident to prove of whose hand he is a playboy and why he is in politics.

After analyzing the incidence one after another (from cry of intolerance, Award Wapasi ,Rohit Vemula...) you can sense the frustration of those anti nationals and terror supporting outfits who ruled India and states (still in few states but oust from main politics for which again tying with congress to fight west Bengal ) with congress and others  for years and destroyed it to the will they wanted to and as the enemy countries desired so to control India and its whole political system .

Spreading venom through education system and student union is not a new but is continue by communists and leftist since years by writing framed and malafide  history of India and Indian heros and connivance with traitors and terrorists time to time. 
They then conspired our freedom fighters and still alive to swallow the bright generation of growing India .Their losing ground is disturbing them all and to regain the power they are so much disparate that they have adopted agenda of terrorist and separatist to appease them so as to get fund and support of Muslim community as they still believe, Muslims only vote for anti nation and pro muslim voice in a secular India ?
And this is why LeT suiside bomber Ishrat Jahan becomes Nitish Kumar’s “बिहार की बेटी ” and death of Afzal ,Bhatt ,Menon celeberated as शहीद  with support of these political parties .

Thanks to home minister who vowed and reassured today to take stern action against these traitors and terror supporting sleeper cells .



Wednesday, February 3, 2016

छात्र को दलित बनाने के बहाने .....

Saurabh Pandey
गज़ब का चलन है भारत में .जहाँ एक बीमार मुख्य्मंत्री जिसे सिवाय अपने  प्रदेश के संपूर्ण  देश दुनिया के विषय में  रूचि रहती है; यह प्रमाणित करने के प्रयाश में की वह एक केंद्र शाषित प्रदेश का नहीं वरन देश का मुख्यमंत्री है और जहाँ मुद्दो के अभाव में कुछ भी अनर्गल एक ज्वलंत विषय बन जाता है जिस पर २ -३ दिनों तक टीवी चर्चा भी जोर शोर से कर ली जाती है .
ऐसा देश जहां की मीडिया वास्तविक विषयों से दूर भागने के लिए समाचार का अचार बनती रहती है तथा अप्रासंगिक एवं तथ्यहीन विषय  को  पंथ निरपेछता की वकालत के नाम पर विवादास्पत शीर्षक से परोसती रहती है .
जहाँ पंथ निरपेछता की विधिवत खुलेआम ढेकेदारी ली जाती है और विषयहीन को संयुक्त प्रयास  से महत्वपूर्ण विषय बनाने की कोशिश की जाती है ताकि सरकार को बेकार और देश का व्यापर किया जा सके जैसा की सदियों से देश के साथ होता आया है .
इस संयुक्त प्रयास में विभिन्न मीडिया घराने ,पदच्युत राजनैतिक दल एवं तिरस्कृत नेता ,समाज सेवा के नाम पर NGO व्यापारी ,भाड़े के बुद्धिजीवी ,कलाकार एवं साहित्यकारों की प्रतय्छ एवं अप्रत्यछ फ़ौज संलग्न है जो देश को सदियों से अपने अपने स्तर से बेचते आये हैं और बेच  पाने में जरा भी असछम या असहाय दिखने पर  नए तेवर और रंग रूप के साथ उभरने एवं अस्तित्व में आने का असफल प्रयास करते रहते हैं .
अभी असहिषुणता के बनावटी बवंडर का भंडाफोड़ घर घर पहुँच ही रहा था की भाड़े के बुद्धिजीवी गैंग  ने  एक संभ्रांत  परिवार के पढ़े लिखे बिगड़ैल  छात्र को ;जिसे हैदराबाद विश्वविद्यालय से स्कॉलरशिप भी मिलती थी ,अपनी देश द्रोही महत्वाकांच्छा का शिकार बना दिया ठीक वैसे ही जैसे केजरीवाल गैंग ने गत वर्ष दौसा -राजस्थान के  गजेन्द्र सिंह को जंतर मंतर पर पेड़ पर लटकवा के किया था .

इस छद्म  बुद्धिजीवी गैंग ने बेचारे  रोहित वरमाल से पहले विश्वविद्यालय प्रांगण में राष्ट्र द्रोही प्रदर्शन करवाये ,उससे विघटनकारी एवं आतंकवादियों की सजा के विरुद्ध प्रदर्शन में मुखौटा बनाया .विश्वविद्यालय प्रशासन को उस पर नैतिक कार्यवाही करने को विवश किया ,उसे बेरोजगार किया और आत्महत्या पर विवश किया जैसा की उसने अपने अंतिम पत्र में जिक्र भी किया है .
एक छात्र को जबरन दलित घोषित करने में छद्म  बुद्धिजीवी गैंग ने विलम्ब नहीं करना चाहा मानो ऐसा की देश में सामान्य वर्ग परित्यक्त एवं हीन प्रजाति का हो ??
छात्र की भी जाती एवं प्रजाति बनाने में इनके निहितार्थ की पराकष्ठा तो देखिये की रातों रात कफ़ ग्रसित दिल्ली का सी. एम. केजरीवाल ,अपनी बुद्धिमानी का दुनिया में लोहा मनवा चुके राहुल बाबा समेत अनेक पाखंडी जो कुछ दिनों से रसातल में दबे थे निकल आये और धरना प्रदर्शन के धंधे में पुनः सक्रीय हो गए .
फिर क्या ट्विटर क्या न्यूज़ डिबेट, हर जगह दलित छात्र पर अत्याचार का समाचार ऐसा मिला मानो मोदी सरकार को इस बार तो घेर ही लेंगे .
अथक परिश्रम से निरर्थक उद्देश्य में लगे ये पाखंडी संघ मुख्यालय भी पहुंचे और जोर शोर से "नीम का पत्ता कड़वा है -नरेंद्र मोदी भड़वा है" के नारे लगते मिले (वीडियो सोशल नेटवक पर वायरल है ).
इन् भद्दे नारों के बीच कुछ शिखंडी भी छात्र रूप में थे जो दिल्ली पुलिस  को प्रेरित कर रहे थे गलियां देकर की हम तथाकथित छात्र , संघ और मोदी का नाहक आरोपी बनाने का कोई मनगढंत अवसर नहीं गवाना चाहते .
और जब लम्बे बालों वाले शिखंडी बने छात्र अपने अमृत वचन के फलस्वरूप  पुलिसिया कार्यवाही का शिकार हुए जोकि लाज़मी भी था ,तो मीडिया गैंग ने उसे महिला बनाम पुरुष करार देने में देरी नहीं की यह सोचे बिना की उस लम्बे बल वाले शिखंडी पुरुष  का असली रूप क्या है .
अच्छा हुआ घटना स्थल पर उपस्थित जनों ने  बाकायदा सारा नंगनाच  रिकॉर्ड कर रखा है जो सोशल मीडिया पर भी उपलब्ध है .
विषय यह नहीं की छात्र दलित ता या सवर्ण ,छात्र था या उपद्रवी ,उसका निष्कासन सुनियोजित था या नैतिक कार्यवाही ,उसकी आत्महत्या विवस्ता थी या प्रायोजित रहस्य ?
विषय की भयावहता यह की यह बेशर्म राजनीती आखिर कब तक ? मौत पर राजनीती कब तक ? कब तक मीडिया बिकेगी ? मीडिया के माध्यम से रोटी सेकने वाले कब तक उल्लू बनाएंगे ? और हम कब तक बेकुफों की तरह इस छद्म सेकुलरिज्म के शिकार होते रहेंगे जिसने देश के बहुसंख्यक समाज को तिरष्कृत  करके रखा  हुआ है तथा अल्पसंख्यक को आतंकी का पैरोकार  ?

सिर्फ कल यानि २ फरवरी की घटना को लें तो ,देश को बदनाम और गलियां देने वाले विदेशी सरजमीं पर आमंत्रित किये जाते है और एक राष्ट्रवादी कलाकार अपने मुखर व्यक्तित्य के चलते  वीसा मिलने से ही वंचित रह जाता है ? जहाँ आतंकियों के नाम पे विश्वविद्यालय  में प्रदर्शन करने वाला रातों रात शहीद में शुमार हो जाता है तो ठीक उसी समय दर्जनों छात्रों का दुर्घटना में मर जाना अप्रासंगिक हो जाता है ??
जहाँ चनाओ का समय आते ही एक विशेष तबके के मन में असहिषुणता और असुरछा बढ़ जाती है परन्तु चुनाव खत्म होते ही सब पहले जैसा सामान्य हो जाता है ??
जहाँ मुस्लिमो के बस इतना कह देने पर की वो उपेच्छित है (सच्चाई विश्व  विदित है) ,भाड़े के बुद्दिजीवियों का मातम  शुरू हो जाता है और मुस्लिमों के द्वारा सुनियोजित दंगा एवं खुलेआम राष्ट्रद्रोह करने पर भी  सब शांत रह जाते है ? ?
इस देश के बहुसंख्यक को सेकुलरिज्म और झूठे विकास  के नाम पर प्रतिदिन आघात पहुचने वाले ये देशद्रोही एक चयनित सरकार के विश्व्व्याप्त महिमा से तिलमिलाए पड़े है .बेचैन है उन् आकाओं के एहसान तले जिन्होंने इन गद्दारों को सदियों  से पला पोशा है .देश में ही रह कर देश के विरुद्धः तैयार करने में इनके प्रत्येक  निजी आवश्यकताओं का  हर संभव सहयोग किया है .
इन्हे याद अवश्य दिला देना चाहिए ! देश ने एक योगी को मुखिया चुना है नाकि भोगी एवं रोगी को . वह योगी अपनी राष्ट्र भक्ति की योग साधना में प्रतिपल व्यस्त है  । ऐसी योग साधना में आने वाले प्रत्येक राछस  या तो सुमार्ग पर स्वतः आ जायेंगे या समय के साथ विलुप्त हो जायेंगे । इतिहास तो ऐसा ही बतलाता है ।हो सकता है इनके पास कोई और इतिहास हो तभी इनके सुधरने की उम्मीद इन्हे खुद भी नहीं ।
परन्तु कुछ भी हो छात्र को दलित बनाने के बहाने मीडिया को २-३ दिन का मसाला जरूर मिल गया ।